मां

मां

मां तो मां है  माँ तो माँ हैं दया के सागर हैं मां मां से ही सृष्टि भरी नहीं तो संसार रह जाता धरी का धरी ।।1।। माँ तो माँ हैं मां बिना सुना संसार जग में मां ही पालनहार मां धरती की रक्षक है ।।2।। मां तो मां है मां बिना जीवन बेकार जिंदगी … Read more

गुरु महाराज ने जब मरे हुए बच्चे को जीवित किया था

सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज

गुरु महाराज ने जब मरे हुए बच्चे को जीवित किया था  गुरु महाराज के पास बभनगमा जो भागलपुर से दक्षिण हैं, एक छोटा सा गांव, वहा से एक सज्जन आए ,और गुरु महाराज से सतसंग का समय मांगते हैं, निष्ठा देखिए, गुरु में और उनकी करुणा उनकी मानव जीवन की सफ़लता ज़रा देखिए, आए और … Read more

महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के दीक्षा विधि

महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के दीक्षा विधि 

महर्षिजी की दीक्षा-विधि

कोई भी काम हो, उसे करने की एक युक्ति होती है। अगर वह युक्ति नहीं जानते हैं, तो वह काम अच्छी तरह कैसे प्रारंभ करेंगे? ईश्वर की भक्ति करने की युक्ति को दीक्षा-विधि या भजन-भेद कहते हैं। यह जो हमें बतलाते हैं, वे हमारे आध्यात्मिक गुरु होते हैं और हम उनके शिष्य ।

लोगों को त्रयतापों से सन्तप्त देखकर संतों के हृदय में दया उमड़ने लगती है। इसीलिए वे उन्हें दुःखों से मुक्त कराने के लिए ईश्वर भक्ति का रहस्य बताया करते हैं। हमारे गुरुदेव भी स्वयं किशोर, युवक, वृद्ध नर-नारियों को, चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित, नगर के हों या गाँव के, निर्धन हों या धनी, समाज में सम्मान्य हों या उपेक्षणीय, किसान हों या राजनेता, सवर्ण हों या अवर्ण दीक्षा दिया करते थे। आपका शरीर जब अत्यधिक शिथिल हो गया, बैठकर लोगों को दीक्षा नहीं बता पाने लगे, तब सन् १९७२ ई० में आपने लोगों को दीक्षा देना छोड़ दिया। इसके पहले ही १९६४ ई० के १ नवम्बर को अपने कुछ इने-गिने शिष्यों को आदेश दे दिया था कि आपलोग दीक्षार्थियों को मेरी ओर से दीक्षा दिया कीजिए। उन्हें दीक्षा देने का अधिकार देते हुए सावधान भी किया था कि आपलोग इसको जीविकोपार्जन या स्वार्थ सिद्धि का साधन बनाएँगे, तो नरक में चले जाएँगे।

जिसने छह महीने पूर्व मांस-मछली खाना छोड़ दिया हो, भजन -भेदी सत्संगियों के साथ बैठकर कुछ महीने से सत्संग करता रहा हो, संतमत सिद्धान्त (इस निबंध की समाप्ति पर संतमत – सिद्धान्त पढ़ें।) कंठस्थ हो और उसे समझकर स्वीकार करता हो तथा जिसके लिए कोई पुराने परिचित सत्संगी गवाह के रूप में यह कहें कि हाँ, मैं इन्हें अच्छी तरह पहचानता हूँ; मेरे साथ सत्संग करते हैं, अच्छे आदमी हैं, दीक्षा लेने के योग्य हैं। मुझे पूरी आशा है कि ये भजन-ध्यान करेंगे-ऐसे व्यक्ति को आप दीक्षा दिया करते थे। ये शर्तें जिनकी पूरी नहीं होती थीं, उन्हें आप दीक्षा न देकर लौटा दिया करते थे। किन्हीं किन्हीं की शर्तें पूरी होने पर भी उनके भजन -भेद होने की व्याकुलता
की जाँच करने के लिए कहते थे कि मुझसे अमुक जगह, अमुक दिन भेंट कीजिए, तब देखा जाएगा। इस तरह कई बार बुलाते और लौटा देते। जब देखते थे कि इनमें भजन-भेद की सच्ची जिज्ञासा है, तब प्रसन्नता के साथ बता देते थे।

जिनको आप दीक्षा देने को तैयार होते थे, उन्हें पहले ही कह दिया. करते थे कि ‘अमुक दिन (शनिवार को छोड़कर) इतने बजे (लगभग १० बजे) बिना कुछ खाये, स्नान करके कुछ प्रसाद और फूलों की माला लेकर मेरे पास आइएगा।’

नियत समय और नियत जगह पर ये दीक्षार्थी आपके कहे हुए ढंग से आकर शान्त भाव से बैठते। आप स्नानादि करके आते और इनके सामने अपने आसन पर बैठ जाते। अपने रजिस्टर में दीक्षार्थियों के नाम (स्त्री के पति का भी नाम), जाति, पेशा, धर्म, गाँव, डाकघर, वाया, जिला लिख लेते थे और संतमत सिद्धांत ठीक से समझाकर निम्नलिखित प्रतिज्ञाएँ कराते थे, जो आपकी बही में भी ऊपर लिखी होती थी-

(१) हम प्रतिज्ञा करते हैं/करती हैं कि संतमत की रीति अभ्यास और उससे जो कुछ अन्तर में मालूम होगा, कभी किसी से नहीं कहेंगे/कहेंगी।

(२) हम संतमत – सिद्धान्तों को अच्छी तरह से समझ गये / समझ गयीं, उनको हम दिल से प्यार करते रहेंगे/करती रहेंगी और संतमत की उन्नति में तन-मन-धन से हमेशा मददगार रहेंगे / रहेंगी।

(३) अभ्यास करने में जो शक्ति पैदा होगी, उसको बुरे कामों में खर्च नहीं करेंगे/करेंगी।

इतनी प्रतिज्ञाएँ कराने के बाद दीक्षा लेनेवालों से रजिस्टर में अपने-अपने नाम-पते के खाने में हस्ताक्षर कराते थे। जो निरक्षर होते थे, वे अपने खाने में एक लम्बी लकीर खींच देते थे। इसके बाद बतलाते थे कि कैसे स्थान पर, क्या बिछाकर, किस आसन से बैठना चाहिए और किस तरह, क्या जप ध्यान में करना चाहिए।

By -Tarun Kumar
🙏🌹जय गुरुदेव 🌹🙏

सेवा मेरा काम

✍✍✍स्वरचित ✍✍ सेवा करना मेरा काम मजदूर हैं मेरा नाम ।।1।।   सब करते घर में आराम पत्थर तोड़ना मेरा काम ।।2।।   दिनभर करना मेरा काम सब करते घर में आराम ।।3।।   गर्व से करता रहा हूँ काम अपना एक अलग पहचान।।4।।   मेरे काम का न दे सकता दाम इसलिए तो मजदूर … Read more

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General election 2024

general election 2024 आज दिनांक 26.4.2024 को लोकसभा का दूसरा पेज का इलेक्शन होने जा रहा है अगर इस इलेक्शन की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा उत्साह जो देखने को मिल रहा है तो वह कटिहार में मिल रहा है कटिहार का वोटिंग रेट बहुत ही बढ़िया है जबकि बांका भी ठीकहै यह इलेक्शन … Read more

मां तो मां है

माँ तो माँ हैं दया के सागर हैं मां मां से ही सृष्टि भरी नहीं तो संसार रह जाता धरी का धरी ।।1।। माँ तो माँ हैं मां बिना सुना संसार जग में मां ही पालनहार मां धरती की रक्षक है ।।2।। मां तो मां है मां बिना जीवन बेकार जिंदगी में मचा रहता हाहाकार … Read more

प्रकृति की सुंदरता देखें

प्रकृति की सुंदरता Prakriti ki sundarta✍✍✍✍✍स्वरचित ✍✍✍✍ प्रकृति की सुन्दरता देख करो विचार पेड़, पर्वत, नदियाँ ये कैसी उपहार ।। नयी नयी कोमल कलियाँ लेकर होंठों पर खुशियाँ ।।1।। प्रकृति की सुन्दरता देख करो विचार हरा भरा वातावरण से स्वस्थ संसार ये हवाएं डाली को सहलाती मंद मधुर मधुर गीत सुनाती।।2।। प्रकृति की सुन्दरता देख … Read more

सदगुरु से सद्युक्ति

क्या सतगुरु से शदयुक्ति लिए होक्या सत्संग में नित्य जाते होक्या गुरु भक्ति में नेह लगाते होक्या माया से मन में लगाते हो।।हो जा सावधान होगा कल्याण ।।1।। क्या ध्यानाभ्यास नित करते होआसनी लेकर नित्य बैठते होधड़ मस्तक साधी कर बैठते होदेर तक आसन पर बैठते होहो जा सावधान होगा कलयाण।।2।। क्या मानस अनुसंधान करते … Read more