मैं तरुण कुमार आप लोगों के लिए यूपीएससी के मोडर्न हिस्ट्री का का महत्वपूर्ण स्रोत लेकर अगर आप यहां पर आए हैं। यूरोपियन का आगमन एवं 18वीं शताब्दी में भारतीय राज्य एवं राजनीतिक दशा तो फ्री में आपके लिए बहुत ही अच्छा कंटेंट है और आप पढ़ कर के जरूर ही यूपीएससी को करेक्ट कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको पूरा अध्ययन करना होगा और एकाग्रता के साथ पूरा देखें
यूरोपियन का आगमन
(1.) भारत एवं यूरोप के बीच व्यापारिक संपर्क प्राचीन काल से ही दिखाई पड़ते है। पश्चिमी यूरोप में भारतीय कपड़ों एवं मसालों की विशेष मांग थी।
( 2) मध्यकाल में भी यह संपर्क बना हुआ था। लेकिन तुर्की में एक शक्तिशाली आटोमन साम्राज्य के उदय के कारण पश्चिम यूरोपीय देशों को व्यापार में अपेक्षित लाउ नहीं हो रहा था।
(3) 15वीं,16वीं शताब्दी में पश्चिम यूरोप पुनर्जागरण, धर्म सुधार आंदोलन, भौगोलिक खोज इत्यादि के कारण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था। इसी क्रम में भारत से संपर्क स्थापित करने के लिए समुद्री मार्ग से प्रयास किये जा रहे थे। और इसमें 1498 ई. में वास्कोडिगामा को सफलता मिली ।
(4) इसके पश्चात् 16वी सदी भारत एवं दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार पर पुर्तगालियों का दबदबा स्थापित हुआ। आगे चलकर ब्रिटेन, फ्रांस, हॉलैंड इत्यादि देशों की भी व्यापार में भागीदारी बढ़ी।
→ इन देशों ने भारत में व्यापारिक केन्द्रों की स्थापना की। और कही कहीं तटवर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण भी स्थापित किया । जैसे पुर्तगालियों ने गोवा को पर अंग्रेजों ने बाम्बे, सूरत, भड़ौच, कालीकट, कोचीन, मद्रास कलकत्ता, मसूलीपट्टनम, पटना इत्यादि स्थानों पर व्यापारिक केन्द्रों की स्थापना की।.
(5) 18वीं शताब्दी के मध्य तक आते आते भारत की परिस्थिति भी साम्राज्य विस्तार के अनुकूल थी और इसका फायदा अंग्रेजों ने उठाया ।
18वीं शताब्दी में भारतीय राज्य
मुगल वंश
→17073 तक मुगल शासक औरंगजेब के काल में भारत पाकिस्तान एवं बंग्लादेश के एक बड़े भूभाग पर औरंगजेब का नियंत्रण था। लेकिन 1750 तक आते आते मुगलों की दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में सिमटकर रह गयी। और भारत में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ। इनमें कुछ प्रमुख थे। बंगाल में नवाबों का शासन, अवध नवाबों का शासन
→ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रुहेलखंड, फर्रुखाबाद तथा जाटों ने अलग अलग राज्य स्थापित किया।
→ राजस्थान भी कई छोटे-बड़े राज्यों में विभक्त था। इनमें प्रमुख थे। मेवाड़, मारवाड़ ,आमेर
→ 18 वीं शताब्दी में पंजाब लंबे समय तक राजनैतिक अस्थिरता का शिकार था। 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में रंजीत सिंह ने धीरे धीरे एक मजबूत राज्य की नींव रखी।
→ सिंध भी मुगलों से पृथक होकर एक अलग राज्य के रूप में स्थापित हो चुका था।
→ महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक तथा आगे चलकर गुजरात, मध्य प्रदेश एवं कुछ अन्य भूभाग पर मराठी का शासन स्थापित हुआ। मुगलों के पतन के पश्चात मराठे भारतीय राज्य में सर्वाधिक शक्तिशाली थे।
हैदराबाद में निजाम का शासन
→मैसूर में हैदर अली एवं टीपू सुल्तान का शासन
तमिलनाडू (कर्नाटिक) में नवाबों का शासन
18वीं शताब्दी में राजनीतिक दशा
→ मुगलों का पतन एवं क्षेत्रीय राज्यों का उदय
→भारतीय राज्यों में उत्तराधिकार के लिए संघर्ष
→भारतीय राज्यों में सत्ता को लेकर अधिकारियों के बीच संधर्ष या दरबार में गुटबंदी
→ सैनिक पिछड़ापन (विशेष नौसैनिक पिछड़ापन) पुरानें हथियार ,सेना में प्रशिक्षण का एक जैसे स्तर नहीं इत्यादि।
→ प्राय: पड़ोसी राज्यों से संघर्ष
→ मराठों का लगभग सभी महत्वपूर्ण शक्तियों से संघर्ष
→नादिर शाह, एवं अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति थी।
– भारतीय शासको में कुछ एक अपवाद को छोड़ दें तो राजनीतिक एकता की समस्या दिखाई पड़ती है।
→ राष्ट्रीय चेतन का अभाव
शताब्दी-100 वर्ष
18वी सदी- 1700-1800 के बीच
चतुर्थाश-25 वर्ष
1700-1725
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इस अध्याय में जो महत्वपूर्ण टॉपिक पर चर्चा हुआ। इसके अगले पार्ट में कर्नाटक युद्ध (तमिलनाडु) से सभी पहलुओं को रेखांकित किया जायेगा।इस में सभी विंदु को अपने काॅपी नोट्स में लिख कर बार बार जरूर पढ़ें।और शेयर करें। अगर आप यूपीएससी क्रेक करना चाहते हैं तो इस वेबसाईट को जरूर फोलो करें।